केंद्रीय विद्यालय नगरोटा की स्थापना सन 1979 ई में नगरोटा कैंट में हुई थी। यह जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर सेना तथा केंद्र सरकार के अन्य कर्मचारियों के बच्चों के लिए जम्मू शहर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा संचालित है, जो एक स्वायत्त निकाय है। यह शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा गठित है जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। विद्यालय में कक्षा I से XII तक तीन वर्ग हैं। कक्षा ग्यारहवीं एवं बारहवीं में मानविकी, वाणिज्य और विज्ञान की विशेषीकृत शिक्षा दी जाती है। विद्यालय में समर्पित, गतिशील, अनुभवी और योग्य शिक्षकों तथा कर्मचारियों का दल कार्यरत है। विद्यालय में शिल्पकला के दृष्टिकोण से विशाल तिमंजिला इमारत है। हवादार और सुसज्जित कक्षाएं, भली-भांति सुसज्जित विज्ञान की प्रयोगशालाएं, कंप्यूटर प्रयोगशाला कक्ष, कनिष्ठ विज्ञान प्रयोगशाला, भाषा प्रयोगशाला, प्राथमिक चिकित्सा कक्ष, पुस्तकालय और विकसित खेल कूद मैदान आदि इसे जम्मू के विद्यालयों में विशिष्ट बनाते हैं। विद्यालय का उद्देश्य केवल अकादमिक उत्कृष्टता प्राप्त करना नहीं है अपितु बच्चे के मानसिक, नैतिक और शारीरिक विकास का भी सर्वांगीण विकास करना है। विद्यार्थियों को विद्यालयी स्तर के अलावा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक के सांस्कृतिक, खेल, कला और पेंटिंग आदि प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान किए जाते हैं। शिक्षकों द्वारा प्रदान की जाने वाली एकीकृत शिक्षा पारंपरिक और आधुनिक मूल्यों के सम्मिश्रण के साथ प्रगतिशील पथ पर बढ़ने को प्रेरित करती है। अतीत से सर्वश्रेष्ठ ग्रहण करते हुए आधुनिक शिक्षा में पारंगत करने में विद्यार्थियों का सहयोग करना तथा वर्तमान समय के विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सहायता से उनके सर्वांगीण विकास में विद्यालय मदद करता है। जिसके माध्यम से विद्यार्थियों को एक व्यापक मानसिक चिंतन, चरित्र निर्माण और अच्छे आचरण के मार्ग पर चलने के लिए निर्देशित किया जाता है। भविष्य की चुनौतियों से परिचित होकर विद्यार्थी उनका सामना करें, ताकि उन्हें इस संस्था का पूर्व विद्यार्थी होने पर गर्व हो। के.वि.सं. विद्यालयी शिक्षा के स्तर पर एक विश्व स्तर के विद्यालयी संगठन में शामिल है। के.वि.सं. शिक्षकों में तालमेल बिठाने के साथ वास्तविक रूप से विद्यार्थियों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि विद्यार्थी भविष्य के राष्ट्रीय और वैश्विक आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुरूप आदर्श सामाजिक वातावरण के निर्मिति में सक्षम बन सकें।